5.12.2011

मजदूरों के जुझारू संघर्ष और देशव्‍यापी जनदबाव से गोरखपुर में मजदूर आंदोलन को मिली आंशिक जीत

पुलिस-प्रशासन के भारी दमन के बावजूद गोरखपुर के मजदूरों के जुझारू संघर्ष और एक सप्ताह से जारी दमन-उत्पीड़न की देशव्यापी निंदा तथा व्यापक जनदबाव ने प्रशासन और मालिकान को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया और वहां मजदूर आंदोलन को आंशिक जीत हासिल हुई है।

कल ‘मजदूर सत्याग्रह’ के लिए शांतिपूर्ण ढंग से आयुक्त कार्यालय पर जा रहे मजदूरों पर शहर में जगह-जगह हुए लाठीचार्ज, गिरफ्तारी, सार्वजनिक वाहनों तक से उतारकर मजदूरों की पिटाई और महिला मजदूरों के साथ पुलिस के दुर्व्‍यवहार की चौतरफा भर्त्सना और सैकड़ों मजदूरों के टाउनहाल पर भूख हड़ताल शुरू कर देने के बाद प्रशासन भारी दबाव में आ गया था। अधिकारियों ने देर शाम हिरासत में लिये गये सभी मजदूर नेताओं और मजदूरों को रिहा कर दिया तथा मालिकों को वार्ता के लिए बुलाया था। कुछ मांगों पर मालिक की सहमति तथा आज औपचारिक वार्ता तय होने के बाद कल रात अधिकांश मजदूरों ने भूख हड़ताल स्थगित कर धरना हटा लिया था लेकिन करीब 25 मजदूरों की भूख हड़ताल जारी थी।
आज उपश्रमायुक्त की मौजूदगी में मालिकों तथा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के बाद अंकुर उद्योग से निकाले गये सभी 18 मजदूरों को काम पर वापस लेने तथा कारखाना कल से शुरू करने पर मालिक पक्ष सहमत हो गया। हालांकि वीएन डायर्स के दो कारखानों से निकाले गये 18 मजदूरों को बहाल करने के सवाल पर अब भी गतिरोध बना हुआ है।

आंदोलन का संचालन कर रहे संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के अनुसार गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी तथा अभियुक्तों को बचाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, मजदूरों पर थोपे गये सभी फर्जी मुकदमे हटाने तथा गोलीकांड और 9 मई को ‘मजदूर सत्याग्रह’ पर हुए बर्बर दमन की न्यायिक जांच की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा। अगर ये मांगें नहीं मानी गयीं तो जल्दी ही ‘मजदूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जो पहले से भी अधिक व्यापक होगा।

कल ‘मजदूर सत्याग्रह’ के बर्बर दमन की देश-विदेश में कठोर भर्त्सना हुई है। देश भर से न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मजदूर आंदोलन से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री, राज्यपाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा केंद्र सरकार को सैकड़ों की संख्या में फैक्स, ईमेल, फोन तथा ज्ञापन भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है तथा दमन चक्र तत्काल रोकने, घटना की तुरंत न्यायिक जांच कराने, मजदूरों की जायज मांगे मानने और दोषियों की खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। पीयूसीएल एवं पीयूडीआर की ओर से जांच टीमें गोरखपुर भेजने की घोषणा की गयी है और वरिष्ठ पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की कुछ स्वतंत्र जांच टीमें भी जल्दी ही तथ्यसंग्रह के लिए गोरखपुर जाएंगी।

सरकारी दमन तथा मालिक-प्रशासन-सांप्रदायिक ताकतों के गंठजोड़ द्वारा जारी अंधेरगर्दी के विरुद्ध भारी जन आक्रोश और व्यापक जनदबाव के कारण यह छोटी-सी जीत मिली है लेकिन गोरखपुर के मजदूरों के सामने अभी बहुत कठिन लड़ाई है और देशभर के इंसाफपसंद नागरिकों तथा किसी भी मोर्चे पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उनका साथ देना होगा। दमन-उत्पीड़न के तात्कालिक मसले पर मजदूरों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन जिन बुनियादी मांगों को लेकर गोरखपुर में मजदूरों ने आवाज उठायी थी, वे आज भी यथावत हैं। वहां के किसी भी कारखाने में कोई भी श्रम कानून लागू नहीं होता। न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे, जबरन ओवरटाइम, जॉब कार्ड, ईएसआई जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मजदूर वंचित हैं। श्रम विभाग सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं करता। जब तक इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक बीच-बीच में मजदूर असंतोष का ज्वार फूटता ही रहेगा।

संयुक्त मजदूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर मालिकों ने फिर से पहले की तरह वायदाखिलाफी और छलकपट से मजदूरों को उनके अधिकार से वंचित करने की कोशिश की या अगुआ मजदूरों को किसी भी तरह से प्रताड़ित करने की कोशिश की तो इसके नतीजे भुगतने के लिए उन्हें तैयार रहना होगा।

मोर्चा ने मजदूर आंदोलन का भरपूर साथ देने तथा प्रशासन पर दबाव बनाने में मदद करने वाले न्यायविदों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए गोरखपुर के मजदूरों को न्याय दिलाने के संघर्ष में सभी से आगे भी सहयोग की अपील की है।

कृते,
गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा
9936650658 (कात्यायनी)
9910462009 (सत्यम, satyamvarma@gmail.com)
8447011935 (संदीप, sandeep.samwad@gmail.com)

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