बर्बरता के विरुद्ध
एक जि़द्दी धुन
अनवरत
समय के साये में
सृजन और सरोकार
बिगुल
3.21.2007
शब्द हथियार हैं
चारों तरफ मचा हुआ है
बौद्धिक झिंगुरों का शोर।
उनके जीवन में
समाजवाद की बहार है,
इन कलमघसीटों के लिए
शब्द...
महज कमाई का जरिया हैं,
लेकिन
हमारे लिए
ये शब्द ही हथियार हैं।
- सर्जक
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