आदरणीय मीडियाकर्मियों,
जिस वक्त दिल्ली में जन लोकपाल के मुद्दे पर आन्दोलन की सफलता का जश्न मनाया जा रहा था, ठीक उसी वक्त राजधानी दिल्ली के ऐन बगल में हज़ारों ग़रीब मज़दूरों के लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा था। आपको पता ही होगा कि किस तरह से भारत की सबसे बड़ी कार कम्पनी मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड के मैनेजमेण्ट ने 29 अगस्त की सुबह से मानेसर, गुड़गांव स्थित कारख़ाने में जबरन तालाबन्दी कर दी है। मैनेजमेण्ट ने अनुशासनहीनता और 'काम धीमा करने' का झूठा आरोप लगाकर 11 स्थायी मज़दूरों को बर्खास्त कर दिया है और 10 को निलम्बित कर दिया है। कम्पनी ने एक निहायत तानाशाहीभरा और सरासर ग़ैरक़ानूनी ''उत्तम आचरण शपथपत्र'' (गुड कंडक्ट बॉण्ड) भी मज़दूरों पर थोप दिया है और यह फ़रमान जारी कर दिया है कि जो मज़दूर इस पर हस्ताक्षर नहीं करेगा उसे ''हड़ताल पर'' माना जाएगा और कारख़ाने में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा।
इस पत्र के अन्त में बॉण्ड का पाठ दिया गया है, आप स्वयं उसे पढ़कर देख सकते हैं कि यह किस कदर अलोकतांत्रिक और निरंकुश है और भारत के संविधान में उल्लिखित मूलभूत अधिकारों का हनन करता है।
आपने यह भी पढ़ा और देखा ही होगा कि मारुति सुजु़की के हम मज़दूर किन परिस्थितियों में काम करते हैं। राज्य द्वारा पारित श्रम क़ानूनों के तहत हमें अपनी स्वतंत्र यूनियन बनाने का अधिकार है लेकिन कम्पनी के कहने पर हमें ग़ैरक़ानूनी तरीके से इस बुनियादी अधिकार से भी वंचित किया जा रहा है ताकि हम अपने साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज़ न उठा सकें।
आप लोगों ने अण्णा जी के आन्दोलन को अभूतपूर्व कवरेज और समर्थन दिया है। मीडिया के इस प्रचण्ड समर्थन और सहयोग के बिना यह आन्दोलन न इतना व्यापक हो सकता था और न ही इतना सफल। आप लोग जनता के अधिकारों और न्याय तथा लोकतंत्र की बात करते हैं। क्या इन घनघोर अलोकतांत्रिक कार्रवाइयों के विरुद्ध मज़दूरों के संघर्ष को आपका समर्थन और सहयोग नहीं मिलेगा? क्या मज़दूरों को उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करना भ्रष्टाचार नहीं है? क्या सरकार और कम्पनी मैनेजमेण्ट की यह मिलीभगत जनता के प्रतिनिधियों द्वारा जनता से विश्वासघात और भ्रष्टाचार का मामला नहीं है? क्या इस संघर्ष को मात्र इतनी कवरेज मिलेगी कि दिन में एक-दो बार कुछ सेकंड का समाचार दे दिया जाये जिसमें इस बात की चिन्ता अधिक हो कि मज़दूरों के आन्दोलन के कारण कम्पनी को कितना घाटा हो रहा है? हमें ऐसी कोई रिपोर्ट देखने को नहीं मिली जिसमें जन लोकपाल आन्दोलन के कारण देश में उत्पादन को हुए घाटे का हिसाब लगाया हो। फिर मज़दूरों के साथ ही यह दोहरा रवैया क्यों?
साभार : हिंदू बिज़नस लाइन |
यह प्रश्न केवल मारुति के एक कारखाने के 3000 मज़दूरों का नहीं है। गुड़गांव के लाखों मज़दूरों और देशभर के करोड़ों मज़दूरों के साथ रोज़ यही सलूक होता है। गुड़गांव और उसके आसपास फैले विशाल औद्योगिक क्षेत्र में स्थित सैकड़ों कारख़ानों में कम से कम 20 लाख मज़दूर काम करते हैं। अकेले आटोमोबाइल उद्योग की इकाइयों में करीब 10 लाख मज़दूर काम करते हैं। अत्याधुनिक कारखानों में दुनिया भर की कंपनियों के लिए आटो पार्ट्स बनाने वाले ये मज़दूर बहुत बुरी स्थितियों में काम करते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से भी अधिक ठेका मज़दूर हैं जो 4000-5000 रुपये महीने पर 10-10, 12-12 घंटे काम करते हैं, काम की रफ़्तार और बोझ बेहद अधिक होता है और लगातार सुपरवाइज़रों तथा सिक्योरिटी वालों की गाली-गलौज और मारपीट तक सहनी पड़ती है।
हम आपसे और सभी मीडिया कर्मियों से अपील करते हैं कि अन्याय और निरंकुशता के विरुद्ध मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए इस संघर्ष में हमारा साथ दें। आप मीडियाकर्मी के साथ ही एक प्रबुद्ध और ज़िम्मेदार नागरिक भी हैं। हम चाहते हैं कि मज़दूरों की न्यायसंगत मांगों को स्वीकार करने के लिए आप सरकार पर भी दबाव डालें। हम आपको कारखाना गेट पर धरना स्थल पर भी आमंत्रित करते हैं।
अग्रिम धन्यवाद और सादर अभिवादन सहित,
-- बिगुल मज़दूर दस्ता तथा मारुति सुज़ुकी एवं गुड़गांव के विभिन्न कारख़ानों में काम करने वाले कुछ मज़दूर
संपर्क: सत्यम (9910462009), रूपेश (9213639072), सौरभ (9811841341)
उत्तम आचरण का शपथपत्र
प्रमाणित स्थायी आदेश के अनुच्छेद 25(3) की शर्तों के अनुसार
मैं,…………………………………. सुपुत्र, श्री ................स्टाफ संख्या.................एतदद्वारा स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव में आए, प्रमाणित स्थायी आदेश के अनुच्छेद 25(3) के अनुसार इस उत्तम आचरण शपथपत्र को लागू करता हूं और इस पर हस्ताक्षर करता हूं। मैं शपथ लेता हूं कि अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने पर मैं अनुशासनबद्ध होकर सामान्य उत्पादन कार्य करूंगा और मैं धीमे काम नहीं करूंगा, बीच-बीच में काम नहीं रोकूंगा, कारख़ाने के भीतर रुककर हड़ताल नहीं करूंगा, नियमानुसार काम (वर्क टु रूल) नहीं करूंगा, तोड़फोड़ या कारखाने के सामान्य उत्पादन को प्रभावित करने वाली अन्य किसी गतिविधि में भाग नहीं लूंगा। मुझे ज्ञात है कि धीमे काम कम करना, बीच-बीच में काम रोकना, कारख़ाने के भीतर रुककर हड़ताल करना (), या सामान्य उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली कोई भी गतिविधि प्रमाणित स्थायी आदेश के तहत गंभीर दुराचरण की श्रेणी में आती है और ऐसा कोई भी कार्य करने पर प्रमाणित स्थायी आदेश के अनुच्छेद 30 के तहत दिए जाने वाले दंड में, बिना नोटिस के काम से निकाला जाना शामिल है। अत:, मैं एतदद्वारा सहमति देता हूं कि यदि, ड्यूटी ज्वाइन करने के बाद, मुझे काम धीमा करने, बीच-बीच में काम रोकने, स्टे-इन स्ट्राइक करने, वर्क टु रूल करने, तोड़फोड़ या सामान्य उत्पादन को बाधित करने वाली किसी भी अन्य गतिविधि में शामिल पाया जाता है, तो मुझे प्रमाणित स्थायी आदेश के तहत सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
दिनांक :........................ कर्मचारी के हस्ताक्षर