5.11.2011

मजदूरों पर हमले के खिलाफ आमरण अनशन का एलान

81 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता कमला पांडेय ने मायावती को लिखी चिट्ठी

प्रति,
सुश्री मायावती जी,
मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश


विषय : गोरखपुर के मजदूरों के बर्बर दमन की अविलंब निष्पक्ष जांच की मांग तथा ऐसा न होने की स्थिति में आमरण अनशन की पूर्व सूचना



प्रिय मायावती जी,

मैं,कमला पांडेय, आयु 81 वर्ष, साठ वर्षों से गरीबों-मजलूमों के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ती रही हूं और उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ की स्‍थापना के समय से ही उसमें सक्रिय रही हूं। अब जीवन की सांध्य बेला में, हृदय रोग और शारीरिक अशक्तता के बावजूद अपनी सामाजिक सक्रियता जारी रखते हुए मैं बच्चों की संस्था ‘अनुराग ट्रस्ट’ चलाती हूं।

महोदया, गोरखपुर के मजदूरों पर पिछले दो हफ्तों से पुलिस-प्रशासन और उद्योगपतियों के गुंडों का जो बर्बर आतंकराज जारी है, उसकी खबरें मुझे विचलित करती रही हैं। फर्जी मुकदमे, गिरफ्तारी, लाठीचार्ज आदि की कार्रवाई तो अप्रैल से ही जारी है। 3 मई को ‘अंकुर उद्योग’ के मालिकों के गुंडों द्वारा अंधाधुंध गोलीवर्षा में 19 मजदूर जख्मी हुए, जिनमें से एक अभी भी जीवन-मृत्यु के बीच झूल रहा है। आपके पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तारी का बहाना बनाकर गुंडों को फैक्ट्री परिसर से बाहर निकालने का और मजदूर नेताओं पर नये फर्जी मुकदमे ठोंकने का काम किया। गोरखपुर के कमिश्नर वहां के भाजपा सांसद के सुर में सुर मिलाते हुए मजदूर नेताओं को ”बाहरी तत्व” और ”उग्रवादी” तक की संज्ञा दे रहे हैं। इन कर्मठ युवा नेताओं को मैं जानती हूं। ये मजदूर हितों के लिए संघर्षरत न्यायनिष्ठ लोग हैं।

महोदया, आज 9 मई को हजारों मजदूर दो फैक्ट्रियों की अवैध तालाबंदी समाप्त करने, मजदूरों से फर्जी मुकदमे हटाने और मजदूरों पर गोली चलाने की घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग को लेकर जब कमिश्नर कार्यालय की ओर शांतिपूर्ण ‘मजदूर सत्याग्रह’ शुरू करने जा रहे थे, तो उन पर बर्बर लाठीचार्ज और पानी की बौछार की गयी। शहर में कहीं भी उन्हें इकट्ठा होने से रोकने के लिए पुलिस ने आतंक राज कायम कर दिया। कई नेताओं, मजदूरों को हिरासत में ले लिया गया। इसके बावजूद, शाम 4 बजे मुझे सूचना मिलने तक कई सौ मजदूर टाउन हॉल, गांधी प्रतिमा के पास पहुंचकर अनशन की शुरुआत कर चुके थे।

मायावती जी, मजदूरों पर दमन का यह सिलसिला तो वास्तव में पिछले दो वर्षों से जारी है, जबसे वे कम से कम कुछ श्रम कानूनों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
आप स्वयं पता कीजिए कि गोरखपुर के कारखानों में क्या कोई भी श्रम कानून लागू होता है? यदि इनकी मांग उठाने वाले ”उग्रवादी” हैं तो मैं भी स्वयं को गर्व से ”उग्रवादी” कहना चाहूंगी। इस बार दमन और अत्याचार तो सारी सीमाओं को लांघ गया है। सत्ता में बैठे लोगों को यदि जनता निरीह भेड़-बकरी दीखने लगती है और इंसाफ की आवाज उनके कानों तक पहुंचती ही नहीं, तो इतिहास उन्हें कड़ा सबक सिखाता है।

मायावती जी, मैं विनम्रतापूर्वक आपको सूचित करना चाहती हूं कि यदि गोरखपुर के मजदूरों पर बर्बर अत्याचार बंद नहीं किया जाएगा, यदि मजदूरों पर गुंडों द्वारा गोली वर्षा के मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होगी, यदि अवैध तालाबंदी खत्म करने के लिए प्रशासन मालिकों को बाध्य नहीं करेगा और यदि मजदूरों की

न्यायसंगत मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा, तो मैं स्वयं व्हीलचेयर पर बैठकर मजदूर सत्याग्रह में हिस्सा लेने जाऊंगी। किसी लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण प्रतिरोध के लिए शासन से इजाजत लेना मैं जरूरी नहीं समझती। यदि न्याय की आवाज की अनसुनी की जाती रहेगी, तो आमरण अनशन करके प्राण त्यागना मेरे लिए गौरव की बात होगी। मुझे विश्वास है कि मेरे इस बलिदान से मजदूरों के संघर्ष को शक्ति मिलेगी और लोकतांत्रिक अधिकारों के संघर्ष में उतरने के लिए तथा न्याय की लड़ाई में शोषितों-दलितों का साथ देने के लिए बुद्धिजीवी समुदाय के अंतर्विवेक को भी झकझोरा जा सकेगा।


मायावती जी, मैं आपको धमकी या चेतावनी नहीं दे रही हूं। सत्ता की प्रचंड शक्ति के आगे मुझे जैसे किसी नागरिक की भला क्या बिसात? मैं आपसे अनुरोध कर रही हूं कि आप अपने स्तर से मामले की जांच कराकर न्याय कीजिए और सत्ता मद में चूर अपने निरंकुश अफसरों की नकेल कसिए। मैं इस न्याय संघर्ष में भागीदारी के अपने संकल्प की आपको सूचना दे रही हूं और विनम्रतापूर्वक बस यह याद दिलाना चाहती हूं कि लाठियों-बंदूकों से सच्चाई और इंसाफ की आवाज कुछ देर को चुप करायी जा सकती है, लेकिन हमेशा के लिए कुचली नहीं जा सकती।

साभिवादन,

भवदीया,
कमला पांडेय

दिनांक : 9/10/2011
संपर्क : डी 68, निरालानगर, लखनऊ 226020

गोरखपुर मजदूर गोलीकांड के विरोध में तैयार की गयी ऑनलाइन पिटिशन। कृपया आप भी हस्‍ताक्षर करें...


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