यदि आपने मिस्त्र के ब्लॉगर करीम के बारे में मेरी पिछली पोस्ट पढ़ी होगी तो आपको मामले की जानकारी होगी। (उन्हें मिस्त्र की सरकार ने पिछले साल 9 नवंबर को गिरफ्तार किया था, और अभी तक रिहा नहीं किया है। उनका अपराध था अपने विचार व्यक्त करना।) यदि आपने नहीं पढ़ी है तो एक बार जरूर देख लें। सभी चिट्ठाकार साथियों के नाम मेरा प्रस्ताव है कि 9 नवंबर को एक ही समय (संभत हो तो सुबह 11 बजे, या जो समय ठीक लगे) सभी चिट्ठाकार साथी अपने ब्लॉग में करीम की रिहाई की मांग करते हुए एक पोस्ट लिखें। पोस्ट में करीम की फोटो भी लगाई जा सकती है। जरूरी नहीं कि यह बहुत बड़ी पोस्ट हो। यह केवल प्रतीकात्मक प्रतिरोध होगा। यह तय है कि ब्लॉग जगत की हलचलों को भी अनदेखा नहीं किया जाता है, इसलिए मेरा प्रस्ताव है कि सभी साथ इस पर अमल करें तो बेहतर होगा। मैं एक कविता की पंक्तियों के साथ समाप्त कर रहा हूं :
पहले वे आए
यहूदियों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं यहूदी नहीं था।
फिर वे आए
कम्युनिस्टों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था।
फिर वे आए
मजदूरों के लिए
और मैं कुछ नहीं बोला
क्योंकि मैं मज़दूर नहीं था।
फिर वे आए
मेरे लिए
और कोई नहीं बचा था
जो मेरे लिए बोलता।
पास्टर निमोलर
(हिटलर काल के जर्मन कवि)
7 comments:
इस तरह के प्रयास जरूरी हैं। ब्लॉगिंग के जरिए भी प्रतिरोध के स्वर मुखर होने चाहिए। वरना भारत में भी ऐसा होगा, तो वाकई में कोई बोलने वाला नहीं रहेगा।
मेरा समर्थन आप के साथ है
बिल्कुल किताब...आपने ठीक कहा ब्लॉगिंग के जरिये भी प्रतिरोध के स्वर मुखर होने चाहिए। उम्मीद है आप इस संदेश को और लोगों तक भी पहुंचाएंगे।
धन्यवाद मिहिरभोज। संभव हो तो कल अपने ब्लॉग पर भी एक छोटी सी पोस्ट लिखिएगा, करीम को रिहा करने की मांग करते हुए। और अपने अन्य चिट्ठाकार साथियों से भी यह अपील कीजिएगा।
उम्र भ्र सच ही कहा , सच के सिवा कुछ न कहा
अज्र क्या इसका मिलेगा, ये न सोचा हमने- शहरयार
हम सब इस लड़ाई में करीम भाई के साथ हैं
हम आपके साथ हैं
धन्यवाद कारवां, धन्यवाद मंजुला...
कारवां आपने अपने ब्लॉग पर भी इस बारे में पोस्ट लिखी धन्यवाद
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