वैसे यह भूखी-प्यासी जनता अनशन करने के मामले में उनसे ज्यादा कड़ियल साबित होती है। अभी हाल ही में गोरखपुर में मज़दूर आन्दोलन के दौरान मज़दूर 7 दिन तक भूख हड़ताल पर रहे, सुबह से रात तक धूप में कारखाना गेट पर चिलचिलाती धूप में बैठे रहे और छठे दिन भूख-हड़तालियों को ठेले पर लादकर जब मजदूर अधिकारियों से मिलने जा रहे थे तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, और अंतत: सातवें दिन जेल में उनका अनशन टूटा। उन्हें आईसीयू और डॉक्टरी जांच की सुविधा नहीं मिली बल्कि लाठियां खानी पड़ीं, फिर भी वे अनशन पर रहे।
हम यह भी नहीं भूले हैं कि भगतसिंह और उनके साथियों ने जेल में कई-कई बार लंबी भूख हड़तालें की जिनमें से एक ऐतिहासिक भूख हड़ताल के 63वें दिन यतींद्र नाथ दास शहीद हो गए और आखिरकार 90 दिन बाद अंग्रेज सरकार को झुका कर ही भगतसिंह और उनके साथियों ने अनशन तोड़ा था।
अब एक बात दिमाग में आ रही है, कि बाबा जी तो हमारे ऋषि-मुनियों की परंपरा को मानने वाले संत है, जो ऋषि-मुनि महीनों बिना कुछ खाए तप करते रहते थे। मगर बाबाजी की हालत देख कर लगता है कि अगर वो तप करने लगे तो कहीं टप न जाएं!!!
2 comments:
वे फंस गये हैं...अब सिर्फ़ हठयोग है इज्ज़त बचाने का...
कोई नहीं टपने वाला...बचाने की राह निकालने वाले कई चट्टे-बट्टे इकट्ठे हो ही गये हैं...
Ye tapega nahi. bas manch se tap kar bhaag gaya tha.
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