प्रेस विज्ञप्ति
नईं दिल्ली, 19 जून। पत्रकार संगठन प्रेस फ्रीडम ने मुंबई में मिड डे के पत्रकार जे डे के हत्यारों को गिरफ्तार करने और देश भर में पत्रकारों पर बढ़ रहे हमलों के प्रति अपना रोष प्रकट करते हुए आज जंतर मंतर पर एक दिवसीय उपवास रखकर धरना दिया और देश भर में संगठन से जुड़े लोगों ने काला दिवस मनाया।
जंतर मंतर पर सैकड़ों पत्रकार सामूहिक उपवास पर बैठे। श्री अजय कुमार पाण्डेय ने बताया कि प्रेस फ्रीडम ने देश भर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ १८ जून को पूरे देश में काला दिवस मनाया जिसके तहत देश भर में पत्रकार साथियों ने काला फीता बांधा और जिला मुख्यालयों पर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन भी दिया।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार श्री डे की हत्या प्रेस का गला घोंटने वाली कार्रवाई है और इस घटना पर सरकार की चुप्पी खतरनाक है। उन्होंने कहा, मंच ने पत्रकार डे के शोक संतप्त परिवार के लिए मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये की मांग की है।
उन्होंने बताया कि संगठन की यह भी मांग है, कि जो पत्रकार, खतरे का सामना कर रहे हैं उनके लिए अनिवार्य सत्यापन के बिना बंदूक लाइसेंस दिया जाए। प्रेस फ्रीडम, ने उन अन्य सभी पत्रकारों के एक परिजन को, जिनकी अभी हाल ही में हत्या कर दी गई है, नौकरी की मांग की है, उनमें दैनिक भास्कर बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक और नई दुनिया, रायपुर के पत्रकार उमेश राजपूत के परिवार शामिल हैं।
संगठन ने मांग की है कि पत्रकार कपिल शर्मा की ग्यारह- बारह जून की रात्रि में अवैध हिरासत में रखने एवं थर्ड डिग्री का प्रयोग करने वाले दिल्ली के थाना तीमारपुर के एसएचओ एवं स्टाफ के विरुद्घ अपहरण एवं अवैध हिरासत में रखने का मुकदमा कायम किया जाए। धरने पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए अमलेन्दु उपाध्याय ने कहा कि कलम के सिपाहियों पर हमलों का क्रम लगातार बढ़ता जा रहा है जो बताता है कि देश में फासिज्म पांव पसार चुका है और लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा कि अभी तक तो सिर्फ पत्रकारों की हत्याएं ही होती थीं लेकिन अब तो पत्रकारों को फर्जी मुठभेड़ाां में मारा भी जा रहा है और फर्जी मुकदमों में फंसाया भी जा रहा है। श्री उपाध्याय ने जोर देकर कहा कि पत्रकारिता और लोकतंत्र पर हमलों को एक ही परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए क्योंकि अगर अभिव्यक्ति की स्चतंत्रता पर खतरा होगा तो लाकतंत्र जिन्दा नहीं रह पाएगा।
संगठन द्वारा आहूत काला दिवस को जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ सिविल सोसायटी, गुवाहाटी प्रेस क्लब,आगरा प्रेस क्लब, बचपन बचाओ आन्दोलन एवं कई अन्य संगठनों ने समर्थन दिया।
प्रदर्शन में अजय कुमार पाण्डेय, अमलेन्दु उपाध्याय, शैलेंद्र धर, शाह आलम, शारिक नकवी, सोहन भारद्वाज, ओम प्रकाश पाल, बिपीन कुमार तिवारी, सीतेश कश्यप, श्रवण शुक्ला, राकेश रमन, सीपी मिश्रा, वीरेन्द्र सैनी, अवनीश राय, नीरज कुमार, आजाद अंसारी, वरुण शैलेश, पूर्णिमा, प्रेम अरोड़ा, हिमांशु बिष्ट, अरुण कुमार उरांव, सत्येंद्र प्रताप सिंह, नितिन, अविनाश सिंह, नवीन कुमार रणवीर, प्रकाश •कुमार सिंह, आशीष पाण्डेय, रविन्द्र शर्मा, विक्रान्त शिशोदिया, शिव शैलेन्द्र, भू त्यागी, सुरेन्द्र त्यागी,अशोक चौधरी, नरेश पाण्डेय, यू एस राना, आशुतोष कुमार झा, विजय शर्मा, जगदीप सिंधु, विनीत सिंहप्रियंका शर्मा, मनीष कुमार, मुमताज आलम रिजवी, अमित कुमार, मु गुफरान खान, मु नाज खान, सुमित गुप्ता, ए के सूर्यावंशी, रंजीत कुमार झा, डॉ राजीव, आदि ने भी भाग लिया।
बाद में दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर ज्ञापन प्रस्तुत किया।
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