11.09.2007

एक साल बहुत होते हैं, करीम को रिहा करो


मिस्‍त्र की सरकार और भारत में उसके प्रतिनिधियों के नाम...
युवा ब्‍लॉगर करीम को रिहा करो। अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर हमले बंद करो।




द्वारा,

संदीप, रेयाज़, कुमार मुकुल, मिहिरभोज, किताब

1 comment:

Pratik Pandey said...

सत्ता हमेशा ही क्रांतिकारियों का दमन करती है। इस तरह का अमानवीय दमन उसके भय को ही दिखलाता है। वैसे भी सत्ता और संगठित मज़हब का चोली-दामन का साथ है। उम्मीद है कि भारत के सभी विचारशील लोग आपके स्वर में स्वर मिलाकर करीम की रिहाई की मांग करेंगे। मेरा ब्लॉग तकनीकी कारणों से नहीं चल पा रहा है, अन्यथा मैं भी इस विषय पर एक पोस्ट लिखने की कोशिश करता।