11.20.2009

रंगकर्मी शशिभूषण वर्मा की मौत की जाँच के लिए एकजुट हों

शशिभूषण वर्मा एक युवा रंगकर्मी थे। पिछले दो दशक से रंगमंच के क्षेत्र में सक्रिय थे। पटना (बिहार) की संस्था हिरावल से उनके सांस्कृतिक सफर की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कई चर्चित रंग निर्देशकों के साथ देश के विभिन्न शहरों में रंगकर्म किया। हिंदी रंगमंच के वे एक ऐसे हरफनमौला कलाकार थे, जो अभावों की पृष्ठभूमि से निकलकर आए और लगातार सीखते हुए विकसित हुए थे। भविष्य में उनसे काफी उम्मीदें थीं। लेकिन विगत 4 नवम्बर को उन उम्मीदों का असामयिक अंत हो गया।

इन दिनों शशिभूषण एनएसडी के छात्र थे और 29 अक्टूबर को एनएसडी की ओर से उन्हें नोएडा मेडिकेयर सेंटर में इलाज के लिए भेजा गया था। वहां पहले उनके बुखार का इलाज चला, दो दिन बाद उन्हें प्राइमरी स्टेज का जॉन्डिस बताया गया और 3 नवम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया। लेकिन कुछ ही देर बाद वे बेहोश हो गए और फिर डॉक्टरों ने उनकी बीमारी को डेंगू बताया। अगले दिन उनका निधन हो गया।
हमें संदेह है कि शशिभूषण वर्मा की मौत इलाज में लापरवाही से हुई है। इस घटना की जाँच और मुआवजे की मांग को लेकर पटना और बिहार के कई शहरों के संस्कृतिकर्मी आन्दोलित हैं। दिल्ली में भी शशिभूषण के दोस्तों की ओर से एक शोकसभा में इस परिघटना की जाँच की मांग की गई है। लेकिन अभी तक एनएसडी की ओर से कोई आधिकारिक बयान तक नहीं आया है कि वह हॉस्पीटल के खिलाफ कुछ करने जा रही है या नहीं और न ही उसकी ओर से संस्कृतिकर्मियों की अन्य मांगों को पूरा करने के संदर्भ में कुछ कहा गया है। एनएसडी में पहले भी बिहार के एक प्रतिभावान रंगकर्मी विद्याभूषण की मौत हो चुकी है।
हम तमाम सांस्कृतिक संगठनों, साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों, रंगकर्मियों से अपील करते हैं कि 21 नवन्बर को अपराह्न 2 बजे पुष्किन की मूर्ति (साहित्य अकादमी) के पास पहुँचें और एनएसडी प्रशासन ने अब तक इस मामले में क्या किया है, इसका जवाब मांगें। आइए एक साझा संघर्ष चलाया जाए, ताकि शशिभूषण के मामले में न्याय मिल सके और भविष्य में उन जैसे किसी रंगकर्मी को हमें इस तरह खोना न पड़े।

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