11.13.2009

नेपाल के साहित्यिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक अनौपचारिक बातचीत

प्रिय साथी,

हम आपको श्री निनु चापागाईं के साथ नेपाल के साहित्यिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर एक अनौपचारिक बातचीत के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। श्री चापागाईं न सिर्फ़ नेपाल के राजनीतिक आन्दोलन में अहम ज़िम्मेदारियाँ सँभालते रहे हैं बल्कि वहाँ के साहित्यिक-सांस्कृतिक आन्दोलन की भी एक अहम शख़्सियत हैं।

नेपाल के वरिष्ठतम मार्क्‍सवादी साहित्यिक आलोचकों में से एक, निनु प्रगतिशील लेखक संघ, नेपाल के अध्यक्ष और प्रगतिशील बुद्धिजीवी संगठन, नेपाल के केन्द्रीय सदस्य हैं। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं और वे प्रमुख नेपाली साहित्यिक पत्रिका ‘वेदना’ के सम्पादक भी हैं। निनु नेपाल के कम्युनिस्ट आन्दोलन में करीब चार दशक से सक्रिय हैं। वे संयुक्त जन मोर्चा (1991-93) के महासचिव रह चुके हैं। इस समय वे एकीकृत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य हैं तथा पार्टी के संस्कृति विभाग के प्रमुख हैं।

एक नये समाज के निर्माण की जद्दोजहद से गुज़र रहे नेपाल में पिछले कुछ समय से जारी गम्भीर राजनीतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक उथल-पुथल पर हम सभी की नज़रें लगी हुई हैं। विडम्बना यह है कि हमारे इतनेे करीब होते हुए नेपाल के बारे में जानकारी के लिए हमें प्रायः दूसरे-तीसरे स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे में नेपाल को लेकर हम सबके मन में चल रही बहुतेरी जिज्ञासाओं व प्रश्नों पर निनु के साथ एक दिलचस्प और उपयोगी बातचीत हो सकेगी, ऐसी हमें उम्मीद है। कृपया ज़रूर आयें।

18 नवंबर, 2009; हिंदी भवन विष्णु दिगंबर मार्ग, निकट आईटीओ, नई दिल्ली

सादर,

सत्यम

सचिव, राहुल फ़ाउण्डेशन

No comments: