3.30.2007

...युद्ध का मोर्चा हर जगह है

'' प्रत्‍येक कलाकार, प्रत्‍येक वैज्ञानिक, प्रत्‍येक लेखक को अब यह तय करना होगा कि वह कहां खड़ा है। संघर्ष से ऊपर, ओलंपियन ऊंचाईयों पर खड़ा होने की कोई जगह नहीं होती। कोई तटस्‍थ प्रेक्षक नहीं होता...युद्ध का मोर्चा हर जगह है। सुरक्षित आश्रय के रूप में कोई पृष्‍ठभाग नहीं है...कलाकार को पक्ष चुनना ही होगा। स्‍वतंत्रता के लिए संघर्ष या फिर गुलामी- उसे किसी एक को चुनना ही होगा। मैंने अपना चुनाव कर लिया है। मेरे पास और कोई विकल्‍प नहीं है।''
पॉल रोबसन, 24 जुलाई, 1937
(स्‍पेन में फासिस्‍ट ताकतों के विरुद्ध जारी संघर्ष के दौरान आह्वान)

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