Showing posts with label मनसे. Show all posts
Showing posts with label मनसे. Show all posts

10.03.2009

बर्बरता की ढाल ठाकरे

मुंबई के दंगे हों या उत्तर भारत के लोगों के खिलाफ़ जहर उगलने का मामला हो या शिवाजी के नाम पर बवाल; ठाकरे परिवार हमेशा चर्चा में रहा है, जय महाराष्‍ट्रा के नाम पर शिव सेना और मनसे की गुंडागर्दी भी जगजाहिर है। कल करण जौहर को राज ठाकरे से माफी मांगनी पड़ गयी। दरअसल, उन्‍होंने अपनी नयी फिल्‍म में मुंबई की जगह बाम्‍बे शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है, उसी पर राज ठाकरे बिगड़ गये। वैसे, हाल ही में शिव सेना के मुखपत्र सामना में आरोप लगाया गया कि राज ठाकरे विधानसभा चुनाव में जिन्‍ना की भूमिका निभा रहे हैं क्‍योंकि वह मराठी मतों का विभाजन कर रहे हैं। खैर, ठाकरे परिवार की लीला अपरंपरा है, यही वजह थी कि बाबा नागार्जुन ने बाल ठाकरे पर एक कविता ही लिख डाली। फिलहाल आप वह कविता पढ़ि‍ए।


बर्बरता की ढाल ठाकरे


बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
कैसे फासिस्‍टी प्रभुओं की --
गला रहा है दाल ठाकरे!
अबे संभल जा, वो आ पहुंचा बाल ठाकरे !
सबने हां की, कौन ना करे !
छिप जान, मत तू उधर ताक रे!
शिव-सेना की वर्दी डाटे जमा रहा लय-ताल ठाकरे!
सभी डर गए, बजा रहा है गाल ठाकरे !
गूंज रही सह्यद्रि घाटियां, मचा रहा भूचाल ठाकरे!
मन ही मन कहते राजा जी; जिये भला सौ साल ठाकरे!
चुप है कवि, डरता है शायद, खींच नहीं ले खाल ठाकरे !
कौन नहीं फंसता है, देखें, बिछा चुका है जाल ठाकरे !
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
बर्बरता की ढाल ठाकरे !
प्रजातंत्र के काल ठाकरे!
धन-पिशाच के इंगित पाकर ऊंचा करता भाल ठाकरे!
चला पूछने मुसोलिनी से अपने दिल का हाल ठाकरे !
बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे! बाल ठाकरे!
नागार्जुन
(जनयुग, 7 जून 1970)





दोनों कार्टून यहां और यहां से साभार लिए गए हैं।