5.05.2009

दिल्‍ली मेट्रो: बुनियादी मांगों के लिए संघर्षरत 100 मजदूरों को गिरफ्तार किया

दिल्‍ली मेट्रो की मनमानी जारी है। पिछले तीन महीनों से दिल्‍ली मेट्रो के कर्मचारी अपनी बुनियादी मांगों के लिए लगातार संघर्षरत थे, लेकिन मेट्रो प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। आज लगभग 11:30 बजे जब मेट्रो के कर्मचारी मेट्रो भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, तो मेट्रो के इशारे पर दिल्‍ली पुलिस ने लगभग 100 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इन्‍हें फिलहाल दिल्‍ली के कनॉट प्‍लेस थाने ले जाया गया है।
मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के बैनर तले ये कर्मचारी तीन महीने से मेट्रो प्रशासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। और कर्मचारियों के अनुसार इस पूरे मामले में मेट्रो प्रशासन तानाशाह रवैया अपनाता रहा है। पिछली 25 मार्च को भी कर्मचारियों ने मेट्रो भवन के सामने प्रदर्शन करके अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिसे मेट्रो प्रशासन ने काफी हील-हुज्‍जत के बाद लिया था।
मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के अनुसार, ठेके पर काम करने वाले मेट्रो के 3000 सफाईकर्मी और फीडर सेवा कर्मचारियों को न्‍यूनतम मजदूरी, साप्‍ताहिक अवकाश, ईएसआई, पीएफ आदि जैसे बुनियादी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। और अपने कानूनी अधिकारों की मांग करने पर उन्‍हें डराया, धमकाया जा रहा है और यहां तक कि नौकरी से भी निकाला जा रहा है।

3 comments:

रंजन (Ranjan) said...

मेट्रो में भी ऐसा होता है?

दिनेशराय द्विवेदी said...

पूरे देश में यही हो रहा है। यह वैश्वीकरण का उत्पाद है। ठेकेदारों को काम दो जो मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी न दें और चिकित्सा, बीमा, भविष्यनिधि और नौकरी समाप्ति पर ग्रेच्युटी न देनी पड़े। ठेकेदार लेबर कानून 1970 में किसी नियोजन को प्रोहिबिट मत करो। जब कभी वे संगठित होने का प्रयत्न करें ठेका समाप्त करो और मजदूरों को बाहर करो। सरकारी उपक्रमों में भी यह हो रहा है। न्यूनतम मजदूरी की दर पर नगर निगमें सफाई ठेके दे रही हैं। जिस में अफसरों, नेताओं की रिश्वतें, सर्विस टैक्स भी शामिल है और ठेकेदार का मुनाफा भी फिर कैसे मिले न्यूनतम मजदूरी और अन्य सुविधाएँ। फिर भी देश आगे बढ़ रहा है। लेकिन कब तक?

Kapil said...

हर सरकारी जोर-जुल्‍म इन नौजवान सफाई कर्मचारियों के इरादों को और पक्‍का ही करेगा।