tag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post5946754673055256648..comments2023-03-30T14:01:15.117+05:30Comments on शब्दों की दुनिया: दिल्ली मेट्रो : आन्दोलनरत मेट्रो कर्मियों को काम से निकालासंदीपhttp://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-14614200293129777502009-07-03T12:00:11.745+05:302009-07-03T12:00:11.745+05:30दिनेश जी का सुझाव सही है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{...दिनेश जी का सुझाव सही है।<br /><br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-91597127726311083752009-06-30T22:47:18.321+05:302009-06-30T22:47:18.321+05:30प्रिये संपादक
आपका काम बहुत अच्छा है. मजदूरो के ऊ...प्रिये संपादक <br />आपका काम बहुत अच्छा है. मजदूरो के ऊपर हो रहे जुल्म और उनके खिलाफ संघर्ष के ऊपर पर आपका खबर उत्साहित करने वाला है. <br />ठेका पर काम कर रहे मजदूरों के कानूनी अधिकार अपने मालिको के खिलाफ बहुत सीमित है. आगे बढे हुए मजदूरो को उनपर लगने वाले कानून के बारे में भी वर्गीय नजर से समझना होगा.<br />आज दुनिया में तेज गति से बढ़ते वैश्वीकरण के माहौल में पूंजीवादी लाभ- उन्मुख अर्थव्यवस्थाओं में ठेका-श्रम को बढ़ावा देने का पवित्र कार्य हर देश की सरकार अपने पूंजीवादी आकाओं के हित में बड़ी निर्लज्जता से कर रही है। भारत इसका अपवाद नही है।<br />शासक वर्ग के विभिन्न गुट यह खुलेआम स्वीकार करते रहे है कि ठेका श्रम प्रथा का प्रचलन को पूरी तरह समाप्त नही किया जा सकता है. कानून भी ठेका कामगार प्रथा की समाप्ति के नहीं अपितु इनके नियमन के लिए बनाया गया है.<br /> सरकार एक तरफ़ यह स्वीकार करती है कि ठेका-श्रम के रूप में मजदूरो का शोषण हो रहा है जिसको समाप्त करने के लिए कानून भी लाया गया है फ़िर भी ठेका-श्रमिक कम्पनी के शोषण के खिलाफ औधोगिक न्यायालय में विवाद नही दायर कर सकते. तो भी सरकार संविधान में प्रदत निर्देशक सिद्धांतों का हवाला देते हुए बड़ी निर्लज्जता से ऐलान करते नही थकती कि वह हर तरह के शोषण का खात्मा करे गी.<br /> <br />आजादEditorhttps://www.blogger.com/profile/01221851970466430857noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-19985672863327593582009-05-09T11:57:00.000+05:302009-05-09T11:57:00.000+05:30सुझाव के लिए धन्यवाद द्विवेदी जी,
मैं आपका सुझाव...सुझाव के लिए धन्यवाद द्विवेदी जी,<br /><br />मैं आपका सुझाव मेट्रो के कर्मचारियों तक पहुंचाने का प्रयास करूंगा।संदीपhttps://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-75778906729343473892009-05-09T11:56:00.000+05:302009-05-09T11:56:00.000+05:30संदीप भाई, मुख्य बात यह है कि सरकार खुद कानूनों की...संदीप भाई, मुख्य बात यह है कि सरकार खुद कानूनों की पालना की गारंटी नहीं देती। सरकार और सरकारी निगम खुद इस तरह से काम करते हैं कि कर्मचारियों को मिलने वाली कानूनी सुविधाओं से उन्हें वंचित कर पैसा बचाया जाए। <br />कर्मचारी या उन का संगठन चाहे तो मेट्रो में सभी कर्मचारियों को कानूनी सुविधाएँ देने के लिए दिल्ली सरकार को बाध्य करने के लिए आदेश प्राप्त करने हेतु दिल्ली उच्चन्यायालय को रिट कर सकते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-65526097831114174102009-05-09T11:50:00.000+05:302009-05-09T11:50:00.000+05:30कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार अनुचित है।कर्मचारियों के साथ इस तरह का व्यवहार अनुचित है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com