tag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post3968747265902119765..comments2023-03-30T14:01:15.117+05:30Comments on शब्दों की दुनिया: गौरव सोलंकी की कविता, ''मैं बिक गया हूँ''संदीपhttp://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-46942916602178277872009-01-12T11:29:00.000+05:302009-01-12T11:29:00.000+05:30बढिया कविता. काफी दिनों के बाद आप अपने ब्लाग पर ...बढिया कविता. काफी दिनों के बाद आप अपने ब्लाग पर दिखे.manjulahttps://www.blogger.com/profile/08496446819983725670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-70309136860136191372009-01-10T13:26:00.000+05:302009-01-10T13:26:00.000+05:30वाकई अच्छी कविता है। खोज कर लाने के लिए शुक्रिया...वाकई अच्छी कविता है। खोज कर लाने के लिए शुक्रिया।Kapilhttps://www.blogger.com/profile/15871506466698035418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-34183178059561004472009-01-10T11:07:00.000+05:302009-01-10T11:07:00.000+05:30दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मर...दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.<BR/><BR/>(विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' से)<BR/><BR/>यह आपके ब्लोग पर मिला हैं। मैं यह जानना चाहता हूँ क्या यह जीवनी हिंदी में उपलब्थ हैं। अगर है तो अवश्य सूचित किजिए। आपका मेल पता ब्लोग पर नही मिला। इसलिए यहाँ लिख रहा हूँ।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-836721718710084919.post-61887950621281891082009-01-10T11:02:00.000+05:302009-01-10T11:02:00.000+05:30सच बहुत ही उम्दा रचना हैं। अपनी पीड़ा कितने अच्छे श...सच बहुत ही उम्दा रचना हैं। अपनी पीड़ा कितने अच्छे शब्दों में ढाला हैं। मैं तो इनके लेखन का पहले से ही कायल हूँ। जब कोई इंसान ईमानदारी से अपने ज़ज़्बात या पीड़ा शब्दों में ढालता हैं तो वो वैशक किसी मापदड़ को पूरा करे या ना करें इक सुन्दर रचना होती हैं। मैं तो यही मानता हूँ। वैसे आपके ब्लोग पर आकर अच्छा लगा। सच आपके ब्लोग का हैडर तो जोश भरने वाला है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.com