8.20.2008

प्रिय अरविंद तुम जिन्‍दा हो, हम सबके संकल्‍पों में



(1965-24 जुलाई, 2008)


यह युद्ध है ही ऐसा
कि इसमें खेत रहे लोगों को
श्रद्धां‍जलि नहीं दी जाती,
बस कभी झटके से
वे याद आ जाते हैं
बरबस
अपनी कुछ अच्छाइयों की बदौलत।