5.09.2009

दिल्‍ली मेट्रो : आन्‍दोलनरत मेट्रो कर्मियों को काम से निकाला

बुनियादी मांगों को लेकर आन्‍दोलन कर रहे 30 मेट्रोकर्मियों को काम से निकाल दिया गया है। दिल्‍ली मेट्रो रेल प्रबंधकों और ठेकेदारों के इस तानाशाहीपूर्ण रवैये से नाराज कर्मचारियों ने आन्‍दोलन को तेज करने की चेतावनी दी है। कर्मचारियों ने शुक्रवार को डीएमआरसी को ज्ञापन भी सौंपा। इसके अतिरिक्‍त कर्मचारियों ने श्रम कार्यालय में भी शिकायत दर्ज कराई है।
दिल्‍ली मेट्रो के ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों की बुनियादी मांगों को लेकर चल रहे आन्‍दोलन को हर तरह से कुचलने की कोशिश हो रही है। पांच मई को अपनी बुनियादी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे करीब 43 कर्मचारियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था।
इनमें मेट्रो फीडर सेवा के चालक-परिचालक और मेट्रो के सफाईकर्मी शामिल थे। तमाम प्रयासों से छह मई रात को जेल से रिहा होने के बाद इनकी कानूनी मांगों की सुनवाई के बजाय इनका उत्‍पीड़न शुरू हो गया। मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के संयोजक अजय स्‍वामी ने बताया कि
प्रदर्शन में शामिल मजदूर जमानत पर छूटने के बाद शुक्रवार को जब काम पर पहुंचे तो मेट्रोफीडर सेवा के इन 30 कर्मचारियों के नाम की सूची डिपो के बाहर लगी मिली। इस पर लिखा था ' नो ड्यूटी'

उन्‍होंने कहा कि इन कर्मचारियों को काम से निकाल दिया गया है साथ ही जो कर्मचारी पांच मई को छुट्टी पर थे, उन पर पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अजन ने डीएमआरसी के और ठेकेदार कंपनी के इस तानाशाही रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि हमारी जायज मांगों को न मान कर डीएमआरसी और ठेकेदार कंपनियां अपने मजदूर विरोधी रवैये का परिचय दे रही हैं।
उधर डीएमआरसी सारी जिम्‍मेदारी ठेकेदार कंपनियों पर डाल रही है, जबकि कानूनन प्रथम नियोक्‍ता वही है। और श्रम कानूनों को लागू कराने की जिम्‍मेदारी भी डीएमआरसी है।
खैर, डीएमआरसी की इन हरकतों से जो भी मेट्रो की चमक दमक और गति को बरकरार रखने वाले कर्मचारियों के साथ उसके तानाशाही रवैये का खुलासा हो रहा है। अब जरूरत यह है हर जागरूक नागरिक मेट्रो कर्मचारियों के इस जायज आन्‍दोलन का समर्थन करे।

5.07.2009

दिल्‍ली मेट्रो : छात्र, पत्रकार, वकील और आम नागरिकों ने कर्मचारियों को रिहा कराया

मेरी पिछली पोस्‍ट से आपको पता चला होगा कि 5 तारीख को दिल्‍ली मेट्रो प्रशासन के इशारे पर अपनी बुनियादी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे 45 कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। कल यानी 6 तारीख को छात्रों, वकील, पत्रकारों, और आम नागरिकों ने जमानत देकर उन्‍हें रिहा करा लिया।
गिरफ्तार कर्मचारियों में मेट्रो के सफाईकर्मी, और फीडर सर्विस के चालक-परिचालक शामिल थे। जेल से रिहा होने के बाद मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के संयोजक अजय ने कहा कि ठेका मजदूरों का आन्‍दोलन व्‍यापक रूप लेता जा रहा है। उनका कहना है कि यूं तो डीएमआरसी ने हर स्‍टेशन डिपो के बाहर बोर्ड टांग रखा है कि यहां सभी श्रम कानूनों का पालन किया जाता है, लेकिन सच्‍चाई यह है कि डीएमआरसी अपने मजदूरों को न्‍यूनतम मजदूरी, ई.एस.आई., पी.एफ. जैसी सुविधाएं तक नहीं देती और साप्‍ताहिक अवकाश तो दूर की बात है। यहां तक कि सभी श्रम कानूनों को ताक पर रख कर मजदूरों से 16 16 घंटे तक काम कराया जाता है। उन्‍होंने कहा कि मेट्रो के कर्मचारी इस संघर्ष को जीतने तक इसे आन्‍दोलन और कानूनी तरीके से जारी रखेंगे।

5.05.2009

दिल्‍ली मेट्रो: बुनियादी मांगों के लिए संघर्षरत 100 मजदूरों को गिरफ्तार किया

दिल्‍ली मेट्रो की मनमानी जारी है। पिछले तीन महीनों से दिल्‍ली मेट्रो के कर्मचारी अपनी बुनियादी मांगों के लिए लगातार संघर्षरत थे, लेकिन मेट्रो प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। आज लगभग 11:30 बजे जब मेट्रो के कर्मचारी मेट्रो भवन के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, तो मेट्रो के इशारे पर दिल्‍ली पुलिस ने लगभग 100 कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। इन्‍हें फिलहाल दिल्‍ली के कनॉट प्‍लेस थाने ले जाया गया है।
मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के बैनर तले ये कर्मचारी तीन महीने से मेट्रो प्रशासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। और कर्मचारियों के अनुसार इस पूरे मामले में मेट्रो प्रशासन तानाशाह रवैया अपनाता रहा है। पिछली 25 मार्च को भी कर्मचारियों ने मेट्रो भवन के सामने प्रदर्शन करके अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा था, जिसे मेट्रो प्रशासन ने काफी हील-हुज्‍जत के बाद लिया था।
मेट्रो कामगार संघर्ष समिति के अनुसार, ठेके पर काम करने वाले मेट्रो के 3000 सफाईकर्मी और फीडर सेवा कर्मचारियों को न्‍यूनतम मजदूरी, साप्‍ताहिक अवकाश, ईएसआई, पीएफ आदि जैसे बुनियादी अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। और अपने कानूनी अधिकारों की मांग करने पर उन्‍हें डराया, धमकाया जा रहा है और यहां तक कि नौकरी से भी निकाला जा रहा है।